खारे पानी एवं मृदा प्रभावित क्षेत्र हेतु किसान विकसित तकनीकों एवं किस्मों को अपनाएं: ड़ाॅ एस. के. चौधरी
काजरी, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) ड़ाॅ एस. के. चौधरी ने 7 फरवरी, 2021 को निरीक्षण किया तथा सभी कर्मचारियों को संबोधित किया। इस अवसर पर काजरी के निदेशक ड़ाॅ ओम प्रकाश यादव, काजरी, जोधपुर के सभी विभागाध्यक्ष एवं सभी वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे। उपमहानिदेशक ड़ाॅ चौधरी ने इस अवसर पर क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, पाली में किए जा रहे फसलों पर अनुसंधान तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली द्वारा की जाने वाली विभिन्न प्रसार गतिविधियों का जायजा लिया। चूंकि ड़ाॅ चौधरी का लवणीय पानी एवं मृदा पर शोध का लम्बा अनुभव रहा है, इसलिए उन्होेनेे क्षेत्र के वैज्ञानिकोें को अनुसंधान हेतू सुझाव एवं मार्गदर्शन दिया। क्षेत्र के वैज्ञानिकोें द्वारा खारे पानी हेतु विकसित तकनीक एवं किस्मों का जायजा लेते हुए ड़ाॅ चौधरी ने बताया कि लवणीय पानी एवं मृदा की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, अतः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, पाली के इस अनुसंधान को प्राथमिकता देगा तथा इस क्षेत्र में गहन अनुसंधान हेतु अधिक संसाधन उपलब्ध करवायेगा। उन्होनें कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा प्रदर्शन हेतु उगाई जाने वाली गेंहू की नवीन किस्म करण वंदना, सरसों की गिरिराज तथा चने की आर.एस.जी. 974 किस्मोें की पैदावार को देखकर हर्ष जाहिर किया एवं केन्द्र द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। अपने संबोधन में ड़ाॅ चौधरी तथा ड़ाॅ ओ. पी. यादव ने पाली में कृषि हेतु क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली द्वारा किए जा रहे कार्यों की उपयोगिता को सराहा।
इसी दौरान ड़ाॅ एस. के. चौधरी एवं काजरी की सम्पूर्ण टीम ने कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली द्वारा हेमावास गांव में लगाई गई प्रदर्शनी का दौरा किया तथा लगभग 50 किसानों के साथ संवाद किया। हेमावास बांध के पेटा-कास्त में सरसों, चना एवं गेंहू के प्रदर्शन लगाये गये जिनकी बढ़वार एवं स्थिति पर उपमहानिदेशक ड़ाॅ चौधरी साहब ने काफी हर्ष व्यक्त किया। इस मौके पर कृषि के उच्चतम अधिकारियों ड़ाॅ चौधरी, ड़ाॅ ओ. पी. यादव तथा ड़ाॅ ए. के. शुक्ला का राजस्थानी रीति-रिवाज एवं परम्परा अनुसार सरपंच मोहनलाल पटेल द्वारा शानदार स्वागत किया गया। पेटा-कास्त पद्धति द्वारा की जाने वाली खेती तथा संरक्षित खेती के सिद्धान्त पर आधारित खेती को देखकर उपमहानिदेषक ड़ाॅ चौधरी अभिभूत हो गये तथा राजस्थान के किसानों द्वारा विषम परिस्थितियों में की जाने वाली खेती की इस पद्धति को सराहा।
इसके उपरान्त सम्पूर्ण प्रतिनिधिमण्डल ने जवाई बांध क्षेत्र में काजरी द्वारा एस.सी.एस.पी. कार्यक्रम के अन्र्तगत जनजातिय किसानों हेतु की जाने वाली विभिन्न योजनाओं का अवलोकन किया तथा किसानों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर उनका पक्ष समझा। इस सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन ड़ाॅ ए. के. शुक्ला, अध्यक्ष, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, पाली ने किया एवं ड़ाॅ धीरज सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया।