कृषि विज्ञान केंद्र में 21 दिसम्बर को विश्व मृदा स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर जनप्रतिनिधि नगरपरिषद अध्यक्ष श्री महेंद्र बोहरा तथा गुड़ा नारकान, अरटिया, बुधवाड़ा, धोलेरिया सासन, धोलेरिया जागीर, गाजनगढ़, बांता, नया गाँव, चोपड़ा, गरवालिया, झुपेलाव, कलाली इत्यादि के लगभग 100 किसानॉन ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पाली के नगरपरिषद अध्यक्ष श्री महेंद्र बोहरा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अन्तर्गत देश के हरेक किसान को उसकी जमीन का मृदा कार्ड वितरित किया जा रहा है जिसमें उसके खेत की मिट्टी के समस्त तत्वों का विश्लेषण होता है तथा मृदा सुधारने के लिये आवष्यक सिफारिशें का विवरण होता है। कार्ड में खेतों के लिए आवश्यक पोषण/उर्वरकों के बारे में फसलवार सिफारिशें की जाती हैं जिससे कि किसान उपयुक्त आदानों का उपयोग करते हुए मृदा उत्पादकता में सुधार कर सकें साथ ही उत्पादन लागत को भी कम कर सके।
कृषि विज्ञान केंद्र, पाली के अध्यक्ष डॉ. धीरज सिंह ने बताया कि किसान इस योजना के तहत अपने-अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराकर फसल विशेष के हिसाब से खाद का उपयोग कर सकते हैं ताकि खेतों में ज्यादा खाद डालने की प्रवृत्ति पर रोक लग सके। किसान जब संतुलित मात्रा में खाद डालता है तो उसके खेतों की मिट्टी खराब नहीं होती है, फसलों की पैदावार में खूब इजाफा होता है, साथ ही किसानों की कमाई भी बढ़ती है। इससे न केवल किसान बल्कि आम जनता भी लाभान्वित होती है क्योंकि फसलों की ज्यादा पैदावार महंगाई को कम करने में भी सहायक होती है। यह योजना देश भर में फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की समृद्धि का भी मार्ग प्रशस्त कर रही है। किसानों द्वारा प्राथमिक पोषक तत्वों (एन पी के) के लिए सामान्य उर्वरक सिफारिशें का अनुसरण किया जाता है जबकि गौण एवं सूक्ष्म पोशाक तत्वों को प्रायः अनदेखा किया जाता है। इस कारण सल्फर, जिंक और बोरॉन जैसे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जिससे उत्पादन घटता जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार मृदा जांच आधारित संतुलित एवं उचित रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के साथ-साथ जैव उर्वरकों और स्थानीय रूप से उपलब्ध जैविक खादों को बढ़ावा दे रही है।
धन्यवाद ज्ञापन पारित करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. महेंद्र चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई मृदा सेहत कार्ड योजना को किसानों द्वारा पूर्णरूप से अपनाने से खेती आधारित अर्थव्यवस्था से किसानों एवं आम जनता के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा। इस अवसर पर किसानों को केविके फार्म पर वेस्ट डिकम्पोजर बनाने का आसान तरीका तथा प्रयोग करने की विभिन्न विधियाँ विस्तार बताई गई। किसानों को इससे संबन्धित साहित्य भी वितरित किया गया। हाल के वर्षों में यूरिया का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा है, जबकि पोटाश एवं मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए जरूरी सूक्ष्म पोषण तत्वों की ओर किसान कोई खास ध्यान नहीं देते हैं। मृदा सेहत कार्डों के बन जाने के बाद किसानों को इस बारे में जानकारी मुहैया कराना आसान हो जाएगा।