मृदा स्वास्थ्य दिवस (5 दिसम्बर, 2016)

कृषि विज्ञान केंद्र, पाली में 5 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया। इस मौके पर कृषि विभाग के समस्त अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के समस्त अधिकारी, काजरी के क्षेत्रीय केन्द्र के वैज्ञानिक, जनप्रतिनिधि तथा रामपुरा, निम्ब्ली उड़ा, हेमावास, खुटानी, दुधिया, रोहट, मुरडिया, चेंडा इत्यादि के किसानों ने भाग लिया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अन्तर्गत देश के हरेक किसान को उसकी जमीन का मृदा कार्ड वितरित किया जायेगा जिसमें उसके खेत की मिट्टी के समस्त तत्वों का विश्लेषण होगा तथा मृदा सुधारने के लिये आवश्यक सिफारिशें तथा उपयुक्त फसलों की उन्नत किस्मों का विवरण होगा। उन्होनें कहा कि सरकार ने ऐसी योजना की शुरुआत की है जिसके तहत सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिशन के रूप में मुहैया कराया जाएगा। कार्ड में खेतों के लिए आवश्यक पोषण/उर्वरकों के बारे में फसलवार सिफारिशें की जाएंगी जिससे कि किसान उपयुक्त आदानों का उपयोग करते हुए मृदा उत्पादकता में सुधार कर सकें साथ ही उत्पादन लागत को भी कम कर सके। मृदा कार्ड का उपयोग मृदा की मौजूदा स्वास्थ्य की जाँच करने में किया जाता है। कुछ समय तक इस्तेमाल हो जाने के बाद इस कार्ड के जरिए मृदा के स्वास्थ्य में हो रहे बदलावों का पता लगाया जाता है क्योंकि लगातार फसल उत्पादन से इसका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मृदा स्वास्थ्य के संकेतकों और उससे जुड़ी शब्दावली का ब्योरा होता है।

इस अवसर पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये। कृषि विज्ञान केंद्र, पाली के अध्यक्ष डॉ. धीरज सिंह ने बताया कि किसान इस योजना के तहत अपने-अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा सकते हैं। योजना के अंतर्गत किसानों को फसल विशेष के हिसाब से खाद का उपयोग करने की सलाह भी उपलब्ध कराई जा रही है ताकि खेतों में ज्यादा खाद डालने की प्रवृत्ति पर रोक लग सके। किसान जब संतुलित मात्रा में खाद डालने लगेंगे,  तो उनके खेतों की मिट्टी खराब नहीं होगी, फसलों की पैदावार में खूब इजाफा होगा, साथ ही किसानों की कमाई भी बढ़ेगी साथ ही फसल उत्पादन लागत भी कम आयेगी। इससे न केवल किसान, बल्कि आम जनता भी लाभान्वित होगी क्योंकि फसलों की ज्यादा पैदावार महंगाई को कम करने में भी सहायक होगी। यह योजना देश भर में फसलों की उत्पादकता बढ़़ाने के साथ-साथ किसानों की समृद्धि का भी मार्ग प्रशस्त करेगी। किसानों द्वारा प्राथमिक पौषक तत्वों (एन पी के) के लिए सामान्य उर्वरक सिफारिशों का अनुसरण किया जाता है जबकि गौण एवं सूक्ष्म पौषक तत्वों को प्रायः अनदेखा किया जाता है। इस कारण सल्फर, जिंक और बोरॉन जैसे पौषक तत्वों की कमी हो जाती है जिससे उत्पादन घटता जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार मृदा जांच आधारित संतुलित एवं उचित रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के साथ-साथ जैव उर्वरकों और स्थानीय रूप से उपलब्धत जैविक खादों को बढ़ावा दे रही है।

धन्यवाद ज्ञापन पारित करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. महेंद्र चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई मृदा सेहत कार्ड योजना के प्रभावशाली ढंग से लागू हो जाने पर खेती आधारित अर्थव्यवस्था से किसानों एवं आम जनता के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा। हाल के वर्षों में यूरिया का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा है, जबकि पोटाश एवं मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए जरूरी सूक्ष्म पौषण तत्वों की ओर किसान कोई खास ध्यान नहीं देते हैं। मृदा सेहत कार्ड के बन जाने के बाद किसानों क¨ इस बारे में जानकारी मुहैया कराना आसान हो जाएगा।